अनकही बातें
कभी सपनों की बातें भी,अनकही सी रह जाती है ...........!
और कभी युगों की वेदना,
उफनती,
पतझर सी झर जाती है।
किसलय सी अनुभूति,
सप्त-स्वरी वीणा पर,
इन्द्रधनुष सी थिरकती है।
फिर कभी,
जीवन जग मंच पर,
कुशल अभिनेत्री सी,
द्रोपदी आशाएं,
चीरहरण करवाती हैं।
अनबूझी, अनसमझी पहेली सी बातें भी,
अनुभूति क्रम में ................
............अनकही सी रह जाती है।
An-kahi si baatein,
जवाब देंहटाएंan-kahi si ichahein
vyakulta bhadati,
thoda gudgudati,
kabhi sahma jati,
ankhon mein kuch chamak si latien.
Kuch yaad dilati,
kuch kahani sunati,
na chah kar bhi punah aatien,
kuch bin bulae mehman si,
mere kavi hridaya mein,
laut laut aati
Kuch ankahi....