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गुरुवार, 14 जून 2012


शाम 

तनिक देर और पास पास रहे ।
चुप रहे, उदास रहे ।।
जाने फिर कैसे हो जाये यह शाम ।
 एक एक कर पीले पत्तों का ।।
टूटते चले जाना इतने चुपचाप ।
और तुम्हारा पलकें झपकाकर ।।
प्रश्नों को लौटा लेना अपने आप  ।
दूर दूर सड़क किनारे ।।
सूखे पत्तों के धुंधवाते ढेर  ।
एक तरफ बेठे हैं गुमसुम से  ।।
दो पीले पीठ फेरे फेरे ।
डूब रहा सभी कुछ अंधरे में  ।।
चुप्पी के घेरे में ।
पेडों पर चिड़ियों ने डाला कोहराम  ।।
तनिक देर और पास पास रहे  ।
चुप रहे, उदास रहे ।।

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