आनंद
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शनिवार, 30 जून 2012
अंधविश्वास
बन्दर बदला,
कण कण बदला,
अंगडाई ली, पल पल ने,
सभ्यता बदल गयी,
रीति बदल गयी,
करवट बदली दुनिया ने,
लगा रहा सूना चक्कर,
चाँद पृथ्वी के चारों ओर,
हम भी श्रद्दा से घूम रहे हैं,
काष्ठ, मूर्ति के चारों ओर।
शनिवार, 23 जून 2012
मानव !
आसव के दो कश लेकर ही,
आदी बन जाता है।
परन्तु,
बार बार मरकर भी,
क्यों,
मृत्यु से घबराता है।
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